भवानी प्रसाद मिश्र

कविता की पाठशाला

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Saturday, February 25, 2006

कविताएँ


* सन्नाटा
* जाहिल मेरे बाने
* सतपुड़ा के जंगल
* गीत फरोश
* वाणी की दीनता
* इसे जगाओ
* बुनी हुई रस्सी
* चार कौए उर्फ चार हौए
* अब के
* कहीं नहीं बचे
* झुर्रियों से भरता हुआ
* तुमने जो दिया है
* वस्तुतः
* नहीं बनेगा
* मैं तैयार नहीं था

* पानी वर्षा री

* बूँद टपकी नभ से

Posted by डॅा. व्योम at 10:25 PM

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